Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -31-Jan-2024

शीर्षक - दूसरा साया


जीवन और जिंदगी में हम सभी एक दूसरे का दूसरा साया ही होते हैं। हम केवल शब्दों के साथ-साथ जीवन में एक दूसरे के सहयोग करते हैं और जीवन को जीते हैं तभी हम एक दूसरे का साया बन जाते हैं और दूसरा साया भी कहलाते हैं आओ हम सब एक दूसरे के साथ रहकर जीवन जीते हैं सच के साथ तो हम सब एक दूसरे के जीवन का दूसरा साया होते हैं। दूसरा साया कहानी अनमोल नाम बच्चे के एक परिवार से शुरू होती है। अनमोल अभी 5 वर्ष का था कि उसकी माता का देहांत हो जाता है और उसके पिता उसके पालन पोषण करने के लिए दूसरा विवाह कर लेते हैं परंतु अनमोल दूसरी नई मां को मन से नहीं समझ पाता है और परिवार में अनमोल गुमसुम सा रहने लगता है और अनमोल के पिता और अपनी दूसरी पत्नी के साथ मौज मस्ती में पहली पत्नी की बेटे अनमोल तक को भूल जाते हैं। भूलने का मतलब बस यही था कि वह अनमोल का ज्यादा ख्याल नहीं रख पाते थे। क्योंकि दूसरी पत्नी अनीता का भी हक बनता था कि वह भी जीवन की खुशियां के साथ जीए। और अनमोल का कमरा भी अलग हो चुका था अब अनमोल अपने कमरे में केवल अकेला रहता था। अनमोल अपने कमरे में अपने बिस्तर पर रात के समय बैठकर ईश्वर से कहता है हे ईश्वर आपने मेरी मां को मुझसे क्यों छीन लिया। नई मां के आने की बात पापा के पास समय ही नहीं है मेरे लिए अब आप ही रास्ता बताएं ऐसा कहकर अनमोल की आंख लग जाती है अगर सो जाता है। रात को क्या देखा है कि उसके बिस्तर पर उसकी मां उसके साथ लेटी है 5 साल का अनमोल देख कर खुशी के मारे अपनी मां से चिपक जाता है और कहता है मां आप कहां चली गई थी। आप जब से गई है पापा नहीं मां के साथ सोते हैं और मुझे अकेले कमरे में सोना पड़ता है ऐसा कहकर छोटा नन्हा 5 साल का अनमोल सुबह-सुबह कर अपनी मां से चिपक कर रोने लगता है और जब वह सुबह उठता है। तब है देखता है उसके बिस्तर पर कोई नहीं है तब है कमरा खोलकर बाहर जाता है और जोर-जोर से आवाज लगता है मां मां तभी उसके पापा और दूसरी मां कमरे से निकाल कर आते हैं। नन्हे अनमोल को डांट कर कहते हैं क्या मां मां लगा रखा है। और कहते हैं तेरी मां को मरे हुए आज 2 साल हो गए। नन्हा अनमोल अपने पापा से कहता है नहीं पापा मेरी मां आज मेरे साथ कमरे में सोई थी और वह सुबह पता नहीं कहां चली गई ऐसा कहकर है अपने कमरे में वापस चला जाता है। जब रात को अनमोल अपने कमरे में सोता है तब रात के 11--12 बजे के बीच में वह बिस्तर पर फिर अपनी मां को देखता है और अनमोल फिर अपनी मां से चिपक कर कहता है मां आप कहां चली जाती हो पापा समझते नहीं है आप मेरे पास हो और दोनों बातें करते हैं हंसते हैं और खेलते हैं। अनमोल के कमरे से हंसने खेलने की आवाज सुनकर अनमोल के पापा और नई मां दोनों कमरे की होल में से झांक कर देखते हैं। तो उनको अनमोल अकेला होने के साथ-साथ एक साया सा उनको नजर आता है। वह दूसरा साया बच्चे अनमोल की मां थी। बाहर से दरवाजा अनमोल के पिताजी खटखटाते हैं। और अनमोल दरवाजा खोलता है और कहता है देखो पापा मेरी मां मेरे साथ है। परंतु वहां कोई नहीं होता है और अनमोल के पिता को भी दूसरा साया मालूम था। अनमोल अपने कमरे में सो जाता है और उसके पिता उसको दूसरा सैया की सोच करते हुए अपनी दूसरी पत्नी के साथ अपने कमरे में चल जाते हैं। सच और हकीकत तो यह है कि दूसरा सैया कोई और नहीं केवल अनमोल की मां की अंतरात्मा जो की अनमोल केवल संग साथ देने के लिए दूसरा साया बनकर आई थी। क्योंकि ईश्वर भी जीवन में कुछ ना कुछ कुदरत के खेल बनता है अनमोल के लिए भी दूसरा साया उसकी मां के रूप में रात को आता था।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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5 Comments

Alka jain

05-Feb-2024 10:55 PM

Nice

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Gunjan Kamal

02-Feb-2024 03:48 PM

👏👌

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Mohammed urooj khan

01-Feb-2024 11:14 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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